नीला आसमान - गीत - संजय राजभर 'समित'
मंगलवार, जनवरी 10, 2023
नम्र होकर ऊँचा उठें, करें सबका सम्मान।
दूर क्षितिज से कहता है, यह नीला आसमान॥
सबल भावना परहित की,
ह्रदय में रखना साज।
सम भाव प्रकृति दुष्कर है,
पर यही रखना नाज़।
पराबैंगनी किरणों सा, सोख ले रोष गुमान।
दूर क्षितिज से कहता है, यह नीला आसमान॥
बादलों को गोद में ले,
करता प्यार मनुहार।
दूर-दूर तक ले जाकर,
गिराता है जल धार।
सदा सूप स्वभाव रख के, पूरा करें अरमान।
दूर क्षितिज से कहता है, यह नीला आसमान॥
असंख्य तारें मुझमें हैं,
मैं हूँ ताने वितान।
वट वृक्ष व्यक्तित्व मेरा,
नहीं घमंड के गान।
रंच मात्र मेरे जैसा, लाओ ज़रा ईमान।
दूर क्षितिज से कहता है, यह नीला आसमान॥
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