वह अधिवक्ता होता है - कविता - रमाकान्त चौधरी

न्याय व्यवस्था प्रणाली का, 
जो अंग अनूठा होता है। 
शोषित जन की लड़े लड़ाई, 
वह अधिवक्ता होता है। 

सौम्य स्वभाव सरल बातें, 
झूठ कपट न करे वो घातें। 
न्याय दिलाना पेशा जिसका, 
न्याय से जिसके रिश्ते नाते। 
लोक हितों की बातें करना, 
आदत में शामिल होता है। 
शोषित जन की लड़े लड़ाई, 
वह अधिवक्ता होता है। 

नहीं किसी से डरता है, 
सच के लिए ही लड़ता है। 
कार्य की ज़िम्मेदारी को, 
हरदम मन में रखता है। 
अपने वादी की तकलीफ़ें, 
सिर पर अपने ढोता है। 
शोषित जन की लड़े लड़ाई, 
वह अधिवक्ता होता है। 

जाँचे परखे सच पहचाने,
अनुचित बात कभी न माने। 
सामने उसके टिक न पाते, 
अच्छे-अच्छे बड़े सयाने। 
साहस हिम्मत मर्यादा को, 
कभी नहीं जो खोता है। 
शोषित जन की लड़े लड़ाई, 
वह अधिवक्ता होता है। 

जाति-धर्म से होकर दूर, 
न्याय दिलाना बस दस्तूर। 
निर्दोष कोई न फँस जाए, 
यह कोशिश करता भरपूर। 
संविधान का पालन करके, 
जो मानवता को बोता है। 
शोषित जन की लड़े लड़ाई, 
वह अधिवक्ता होता है। 

रमाकांत चौधरी - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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