मिट्टी के एक ढाँचे में,
सजीव सा जीवन दिखता है
जिनके रंग रूप है कई अनोखे,
फिर भी लगते हैं सब एक।
इसी चेतना का है प्रसार,
जिसमें दिखता है जीवन का सार
कई कल्पनाएँ हैं इनमे सुमार,
जिन्हें कहते है सुविचार।
इस मिट्टी के पुतले में,
है, विद्यमान एक प्राणकोष
जिससे है एक जीवन की शृंखला
जहाँ बसा है आनंदकोश।
अनुराग शुक्ल 'अद्वैत' - प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)