नवजोत उमंगें हर पल मन - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

नवजोत उमंगें हर पल मन,
उल्लास नवल हो जाता है।
नव ध्येय भोर कर्त्तव्य किरण,
विश्वास सबल बन जाता है।

नित नवल सोच नव शोध सुपथ,
उन्मुक्त उड़ानें भरता है।
हिय लगन इमारत प्रगति शिखर,
आरोह सुगम बन जाता है।

भूले अतीत पन्ने गर्दिश,
वर्तमान सुपथ बढ़ जाता है।
साफल्य मुदित संयम चहुँ दिश,
नवकीर्तिफलक गढ़ जाता है।

उपहास ख़ास सम्प्रेरक पथ,
दुर्गम विघ्नों से बच जाता है।
चढ़ धीरज साहस सम्बल रथ,
कर्मयोग सिद्धि फलदाता है।

सत्कर्म शान्ति सुखदायक नित,
नव प्रीति रीति मुस्काता है।
स्वर्णिम भविष्य निर्माण गीत,
नवनीत मीत उद्गाता है।

उद्देश्य सुखद जग शान्ति परक,
उत्थान राष्ट्र उफनाता है।
समता करुणा हिय क्षमा दया,
सम्मान राष्ट्र बढ़ जाता है।

परमार्थ भाव संवेद चित्त,
कर्मवीर सुयश दे जाता है।
नव शक्ति मिले विश्वास ईश,
पुरुषार्थ राष्ट्र हित गाता है।


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