मज़दूर - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'

रात दिन मेहनत करता
जी भर पीता पानी,
तंगी में भी ख़ुश रहता
मज़दूर तेरी यही कहानी।

औरों की सेवा करता
सर्दी गर्मी या बरसे पानी,
तन पे कपड़ा फटा पुराना
मज़दूर तेरी यही कहानी।

पालन पोषण अपनों का
करता पूरी ज़िंदगानी,
देश हित में मेहनत से
रचता नई कहानी।

हम भी उससे सीखें
मेहनत की परिभाषा,
मेहनत कर लो जग में
व्यर्थ न जाए ज़िंदगानी।

महेन्द्र 'अटकलपच्चू' - ललितपुर (उत्तर प्रदेश)

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