मौत से पहले कोई ज़मीन ख़रीदेगा,
आने वाली पीढ़ियों के लिए,
दे जाएगा अपनी औलादों को,
ख़ुद से महँगा सोना चाँदी,
ज़मीन जायदाद और न जाने क्या-क्या...
शहर के शहर नाम कर देगा कोई तो अपनी प्रेमिका के लिए,
मैं भी कुछ दे जाऊँगा,
मेरे प्रेम का एहसास कराती,
कुछ कविताएँ बंद लिफ़ाफ़ों में,
एलआईसी के कुछ काग़ज़ात,
तुम्हारी कुछ पुरानी तस्वीरें,
और एक छोटी सी कसम
उन कविताओं को ताउम्र
दिल में संभालने की।
अमृत 'शिवोहम्' - जयपुर (राजस्थान)