बच्चों को ख़ूब लुभाते आम - कविता - आशीष कुमार

खट्टे मीठे पीले आम,
कितने हैं रसीले आम।
सभी फलों के राजा हैं,
सबसे ऊँची इनकी शान।

आई गर्मी लेकर आम,
सूझा ना कोई और काम।
आम तोड़ने की हुई तैयारी,
दौड़े बच्चे दिल को थाम।

बाग़-बगीचे भरे पड़े हैं,
लटके तरह-तरह के आम।
माली की नज़रों से छुप कर।
निशाना लगाते गुलेल थाम।

जिसका निशाना पक्का होता,
मिलता उसको उसका ईनाम।
लगे पत्थर जो माली के सर पर,
सरपट भागे धड़ाम-धड़ाम।

सबके दिलों की पसंद हैं यह,
सबके मन को ललचाते आम।
पल भर में चट कर जाते,
बच्चों को ख़ूब लुभाते आम।

आशीष कुमार - रोहतास (बिहार)

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