राजीव कुमार - बोकारो (झारखण्ड)
आस का पंछी - कविता - राजीव कुमार
शनिवार, मई 21, 2022
आस का पंछी उड़ान भरे,
आस को मिलता रहे जीवन,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।
आस का पंछी जिस डाल बैठे,
न आए उसमे पतलापन,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।
आस का तो सारा आकाश,
आस न पाए कभी मरण,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।
रास्ता बदलना ध्येय न हो,
गंतव्य पहुँचने से पहले,
आस का न हो विकर्षण,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।
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