आस का पंछी - कविता - राजीव कुमार

आस का पंछी उड़ान भरे,
आस को मिलता रहे जीवन,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।

आस का पंछी जिस डाल बैठे,
न आए उसमे पतलापन,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।

आस का तो सारा आकाश,
आस न पाए कभी मरण,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।

रास्ता बदलना ध्येय न हो,
गंतव्य पहुँचने से पहले,
आस का न हो विकर्षण,
संघर्ष समर्पण, संघर्ष समर्पण।

राजीव कुमार - बोकारो (झारखण्ड)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos