हमने भर ली उड़ाने ख़ता हो गई - ग़ज़ल - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'

हमने भर ली उड़ाने ख़ता हो गई,
सारी दुनिया ही हमसे ख़फ़ा हो गई।

आँधिया आ गई देख मेरी उड़ान,
जलने वालों की ये इंतिहा हो गई।

जिनको माना था ये मेरे अपने ही हैं,
काम थोड़ा पड़ा सबकी ना हो गई।

जिसको चाहा था हमने दिल-ओ-जान से,
जाँ की दुश्मन वही बेवफ़ा हो गई।

देखकर हाल दुनिया का ऐ दोस्तों,
मेरी सारी तमन्ना फ़ना हो गई।

नृपेंद्र शर्मा 'सागर' - मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)

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