हमने भर ली उड़ाने ख़ता हो गई,
सारी दुनिया ही हमसे ख़फ़ा हो गई।
आँधिया आ गई देख मेरी उड़ान,
जलने वालों की ये इंतिहा हो गई।
जिनको माना था ये मेरे अपने ही हैं,
काम थोड़ा पड़ा सबकी ना हो गई।
जिसको चाहा था हमने दिल-ओ-जान से,
जाँ की दुश्मन वही बेवफ़ा हो गई।
देखकर हाल दुनिया का ऐ दोस्तों,
मेरी सारी तमन्ना फ़ना हो गई।
नृपेंद्र शर्मा 'सागर' - मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)