युद्ध दस्यु बना देता हैं - कविता - विनय विश्वा

युद्ध दस्यु बना देता हैं
खुले विचारों को ध्वस्त
कर देता हैं
अपनी ख़ामोशी की ऐंठन में
महाभारत हो जाती हैं
भीष्म छलनी होते हैं
अर्जुन ख़ामोश होते हैं।

परमाणु के दौर में
दिमाग के एक भी अणु
शुक्राणु को जन्म
न दे सका जो समय के
इतिहास में शांति
स्थापित करें
जो मानव को सचमुच मानव ही
समझें
कोई तोपखाने का निशाना नहीं!

विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)

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