हाँ वही तुम - कविता - मंजु सुस्मिता

कभी कभी तुम बहुत याद आते हो,
एसे तो हर दिन आँखें तुम पे बिखरी होती हैं !
फिर भी आँखों में होना दिल में होने का प्रतीक तो न है। 
तुम हाँ तुम याद आते हो,
जो आज से पाँच साल पहले थे वह तुम बहुत याद आते हो।
हाँ वही तुम आज भी दिल में भरे पड़े हो।
आज के तुम से कितना चंचल था वह तुम
जो दिल में मेरे आज भी उथल मचाया हुआ है। 
तब जब कॉलेज के सीढ़ियों से आती देखती थी तुम्हें,
तुम नदी से दिखते थे।
आज जब छत के सीढ़ियों से आती देखती हूँ तुम्हें,
तब तुम तलाब दिखते हो।
एक दम स्थिर, बोझ से लदे, जड़ आँखों से जब अनदेखा करते हो मुझे, 
दिल अनायास ही याद करता तुम्हें।
हाँ वही तुम आज भी दिल में भरे पड़े हो।

मंजु सुस्मिता - भद्रक (ओडिशा)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos