अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेल फ़अल
तक़ती : 22 22 21 12
वो चुपके से बोल गए,
झट मिसरी सी घोल गए।
हमने जब भी सच पूछा,
दे बातों में झोल गए।
अबतक छुपी मुहब्बत में,
करते टालमटोल गए।
बँधी हुई थी जो कस कर,
मन की गठरी खोल गए।
अपनी मीठी बोली से,
दिल से दिल को तोल गए।
मोल नहीं उन लफ़्ज़ों का,
जो कहकर अनमोल गए।
सुनते ही 'अंचल' अरमाँ,
मुस्काकर फिर डोल गए।
ममता शर्मा 'अंचल' - अलवर (राजस्थान)