आशीष द्विवेदी 'साथी' - उदइया, डूंगरपुर (राजस्थान)
नई उषा से - कविता - आशीष द्विवेदी 'साथी'
शुक्रवार, जनवरी 07, 2022
नई उषा, नई विभा, अब नया विहान हो,
स्वदेशी पंथ पर चलकर देश महान हो।
नई हो ज़मीन अपनी, नया आसमान हो,
नवीन हो पंख अपने, नई उड़ान हो।
कर्तव्यों का अपने, निर्वाह हम करें,
राष्ट्र हित अपनी तन-मन, जान हो।
स्वार्थ का आवरण हम उतार फेंके,
राष्ट्र उन्नति का अब नया उफान हो।
स्वतंत्र राष्ट्र ध्वज उड़े, अपनी शान से
हर दिल को देश पर गर्व अभिमान हो।
अर्थ तंत्र, विज्ञान में भारत ऊँचा उठे
विदेशी चालों से हम सावधान हो।
भ्रष्ट राजनीति से मुक्त क़ानून हो
न्याय नीति 'साथी' सबके लिए समान हो।
पश्चिम के भोग विलास से हम दूर रहें,
नारी नहीं भोग्या इसका सम्मान हो।
जाति और धर्म के सारे फ़साद मिटें,
देश में अमन, शांति, सुख चैन हो।
नया उत्साह, नया लक्ष्य, नई व्यवस्था हो
विश्व शक्ति भारत अब, भारत बलवान हो।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विषय
सम्बंधित रचनाएँ
सपनों की राह में संघर्ष - कविता - रूशदा नाज़
जा रही हूँ छोड़ उपवन - कविता - श्वेता चौहान 'समेकन'
सोने के पिंजरे इन्हें रास न आते हैं - कविता - रजनी साहू 'सुधा'
फिर फिर जीवन - कविता - रोहित सैनी
संघर्ष का सूर्योदय - कविता - सुशील शर्मा | मज़दूर दिवस पर कविता
स्वयं के भीतर शिव को खोजूँ - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर