सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
ख़ाकी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सोमवार, नवंबर 15, 2021
हमें सुलाते जाग-जाग कर,
जिनसे है आबाद वतन।
जिनका धर्म त्याग सेवा है,
उस ख़ाकी को कोटि नमन।
शूरवीर ये सच्चे योद्धा,
इनसे ही है चैन अमन।
असली हीरो पुलिस हमारी,
ख़ाकी वालों कोटि नमन।
वक़्त मुसीबत के मारों की,
ये ताक़त बन जाते हैं।
ख़ुद के सुख को भूल चुके हैं,
ख़ाकी जो अपनाते हैं।
अपने घर, त्यौहार भूलकर,
सबके पर्व कराते हैं।
फ़र्ज के ख़ातिर ख़ाकी वाले,
न्यौछावर हो जाते हैं।
अनुशासन के पालन की,
ये हर सौगन्ध निभाते हैं।
दुष्ट जनों को खोज-खोज कर,
अच्छा सबक़ सिखाते हैं।
जनसेवा हित तत्पर रहते,
रात दिवस जो आठ पहर।
करें हिफ़ाज़त आम ख़ास की,
घूम-घूम कर गाँव शहर।
हम सबकी रखवाली करना,
यह ही इनका दीन धरम।
एक-एक को न्याय दिलाना,
शान्ति बचाना यही करम।
शूरवीर ये सच्चे योद्धा,
इनसे है आबाद वतन।
असली हीरो पुलिस हमारी,
ख़ाकी वालों कोटि नमन।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर