एक नज़र तू देखे अगर - कविता - राजकुमार बृजवासी

एक नज़र तू देखे अगर,
बेक़रार दिल को करार आ जाए।
मन में खिल उठे प्यार के सुमन,
सुनी पड़ी बगिया में बहार आ जाए।
एक नज़र तू...

किस बात का गिला है,
ये जो दर्द हमें मिला है,
तेरी रुसवाई खलती है हमें,
क्या यही वफ़ा का सिला है,
कुछ बताओ तो सही, आख़िर
किस बात का गिला है।
बिन तेरे सावन में भी पतझार आ जाए।
एक नज़र तू...

कैसी है बेरुख़ी किस बात का ग़म है,
पलकें भीगी सी है आँखें भी नम है,
ज़रा सी बात पे रूठ जाता मेरा सनम है,
ये मायूसी अच्छी नहीं चलो ये तो बता दो,
कैसी है बेरुख़ी किस बात का ग़म है?
दिल जलता है इस बेरुख़ी से,
ऐसा ना हो मादक बयार आ जाए।
एक नज़र तू...

अभी किनारा दूर है साथी,
सितम आँधियों का भरपूर है साथी,
दिल-ए-नादाँ बहुत मजबूर है साथी,
ढूँढ़ कर लाए सुकून कहाँ से?
अभी किनारा दूर है साथी।
सुनी ही रहेगी दिल की बगिया,
चाहे जितनी बहार आ जाए।
एक नज़र तू...

राजकुमार बृजवासी - फरीदाबाद (हरियाणा)

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