ऐसा मैं नन्हा कलाम हूँ - बाल गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'

दुनियाँ मुझको याद करे ऐसा मैं नन्हा कलाम हूँ।

खेल, खिलौने, कन्चे, गेंद, मुझको लगते प्यारे।
फूलों के संग तितली रानी, भौरे कितने न्यारे।।
जगमग जगमग जुगनू, जैसे नभ में चाँद सितारे।
मेरे कोरे मन में उपजें, प्रश्न अनोखे सारे।।
खोज निकालूँ प्रश्नों के हल मैं ऐसा विराम हूँ।
दुनियाँ मुझको याद करे...

रोज सवेरे विद्यालय जाता गुरुजन मुझे पढ़ाते।
गिनती, ओलम और पहाड़े, मुझको ख़ूब रटाते।।
पेड़, फूल और पत्तों के मैं सुंदर चित्र बनाऊँ।
प्रकृति की प्यारी इस बगिया में सबको पास बुलाऊँ।।
नानक, बुद्ध और महावीर का मैं नन्हा पयाम हूँ।
दुनियाँ मुझको याद करे...

बच्चों के प्रिय नेहरु चाचा अच्छे लगते हैं।
बाल दिवस को हम सब मस्ती ख़ूब करते हैं।।
कलाम के सपनों के भारत में धूम मचाएँगें।
ज्ञान प्रकाश से तम को हम सब दूर भगाएँगे।।
विज्ञान, कला और संस्कृति का मैं ऐसा अयाम हूँ।
दुनियाँ मुझको याद करे...

"कौन बनेगा नन्हा कलाम" है वैज्ञानिक नवाचार।
नवंबर में शुरू हुआ लिए सपने पंख हज़ार।।
ज्ञान, विज्ञान के रहस्यों का है नया संसार।
जीवन को सीखने, का है वैज्ञानिक आधार।।
कलाम के विजन का ऐसा मैं सुंदर सलाम हूँ।।
दुनियाँ मुझको याद करे...

भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी' - जालौन (उत्तर प्रदेश)

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