अरशद रसूल - बदायूं (उत्तर प्रदेश)
ज़ख़्म इतने मिल चुके हैं तितलियों से - ग़ज़ल - अरशद रसूल
शुक्रवार, नवंबर 12, 2021
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तकती: 1222 1222 1222 1222
ज़ख़्म इतने मिल चुके हैं तितलियों से,
डर नहीं लगता हमें अब आँधियों से।
शुक्रिया, जो आपने छीना सहारा,
बच गए हैं आज हम बैसाखियों से।
हम मुहब्बत की इबारत लिख रहे हैं,
तुम निकल भी आओ दिल की खाइयों से।
चार बर्तन इस क़दर बजने लगे हैं,
डर बहुत लगने लगा शहनाइयों से।
बोलते क्या बाप बनने की ख़ुशी में,
लुट गए हम डॉक्टर से-दाइयों से।
ज़िंदगी पर याद भारी पड़ रही है,
जान तो जाकर रहेगी हिचकियों से।
फिर ग़ज़ल में लुत्फ़ आकर ही रहेगा,
कुछ कहो तो फ़िक्र की गहराइयों से।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर