खीर में पड़ गया नमक हो ज्यों - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त

अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती : 212  212  1222

खीर में पड़ गया नमक हो ज्यों,
ऐसी बेस्वाद बात कर दी क्यों।

आप भी सच्चे, बात भी सच्ची,
फिर भला नागवार गुज़री क्यों।

आज भी हाल है वही मेरा,
छोड़ कर तुम गए थे ज्यों का त्यों।

कुछ तो है बात आप में ऐसी,
वरना हम हो गए दिवाने क्यों।

समीर द्विवेदी नितान्त - कन्नौज (उत्तर प्रदेश)

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