अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
तक़ती : 22 22 22 22
बंदिश में जीना, मरना है,
फिर क्यों बंदिश से डरना है।
सोच लिया है इसीलिए अब,
जो मन कहता वह करना है।
दुख की गहरी झील हुआ दिल,
अधिक न अब इसको भरना है।
अश्क बनो हर दुख से कह दें,
आँखों से जी भर झरना है।
अपना-अपना हित है सबका,
दोष किसी पर क्यों धरना है।
दुनिया से उम्मीद न कीजे,
अपना संकट ख़ुद हरना है
मोह न पाल किसी से 'अंचल',
इक दिन इस भव से तरना है।
ममता शर्मा 'अंचल' - अलवर (राजस्थान)