वृद्ध जनों की करो हिफ़ाज़त - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

धरती और गगन के जैसे,
वृद्ध जनों के साए हैं।

इन बूढ़े वृक्षों की हम सब,
पल्लव नवल लताएँ हैं।

इनके दिल से सदा निकलती,
लाखों लाख दुआएँ हैं।

इन पावन रिश्तों के कारण,
हम धरणी पर आए हैं।

आज नहीं तो कल हम सबको,
इक बुज़ुर्ग हो जाना है।

धर्म छोड़कर सब छूटेगा,
क्या खोना क्या पाना है।

करो हिफ़ाज़त वृद्धजनों की,
यही बन्दग़ी, दान, धरम।

इनका हृदय दुखाया तुमने,
तो हैं सारे व्यर्थ करम।

धरती और गगन के जैसे,
वृद्ध जनों के साए हैं।

इन बूढ़े वृक्षों की हम सब,
पल्लव नवल लताएँ हैं।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos