सभी ठीक होगा एक दिवस - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

हर आपद में रख धीरज पथ, 
साहस संबल संयम निर्भय, 
यायावर बन बढ़ो सत्य रथ, 
ठीक होगा एक दिन समझ। 

आसान नहीं साफल्य लक्ष्य, 
हैं दुर्गम पथ पाषाण कुटिल, 
घाटी दर्रे हैं विघ्न बहुत, 
बस मति विवेक आसान समझ। 

सोपान चढ़े जो गिरे प्रथम, 
सहते विरोध ज़ख़्मों का ग़म, 
हो चित्त इष्ट पथ धेय शुभम, 
संकल्प अटल हो सिद्धि समझ। 

हो सदा उजाला अरुण भोर, 
नित प्रगति कुसुम खिल हिय चकोर, 
गन्धमाद कर्म सुरभित विभोर, 
फल अन्त मिले पुरुषार्थ समझ। 

सहयोग अपर सद्मार्ग सतत, 
बिन आहत निन्दक दिग्दर्शक,
घबराना मत संघर्ष पथिक, 
बस अन्त विजय नित सत्य समझ। 

नवजोत मिले तम घात अपर, 
नव मार्ग खुले हर बन्द पहर, 
बस प्रीति नीति सम्भाष मधुर, 
मद विरत विनत पतवारसमझ। 

हरित हरित धरा अंकुर नवल, 
खिल पल्लव प्रसून गन्ध विमल, 
सुवास सुहास साफल्य सबल, 
गंगाजल निर्मल धार समझ। 

सभी ठीक होगा एक दिवस, 
धर्मार्थ स्वार्थ मत बने विवश, 
पथ कर्मवीर पुरुषार्थ सफल, 
सत्कीर्ति फलक सुखसार समझ। 

डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos