कविता भावनाओं का शृंगार है - कविता - मधुस्मिता सेनापति

कविता शब्दों का मायाजाल नहीं,
भावनाओं का शृंगार है।
कविता वर्णों का भार नहीं,
मानव हृदय की आवाज़ है।।

कविता सूखे पड़े ज़मीन पर
बरसात की ऐसी बूँदें हैं,
जैसे कोरे काग़ज़ पर अभिव्यक्त होने‌ वाली
भावनाओं का आग़ाज़ है।

दुःखी के मुँह पर जो 
हँसी ले आए,
शोषित के मन में जो 
क्रांति ले आए,
वह कविता ही है
जो स्थिरता में भी
चंचलता भर ले आए,
वही कविता है 
जो मानव हृदय की आवाज़ है।

कविता केवल सौंदर्य का बखान नहीं,
पीड़ा और दर्द का वह आतुर आवेग है।
कविता शब्दों का मायाजाल नहीं,
भावनाओं का शृंगार है।।

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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