गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)
हम सरहद के रखवाले - कविता - गणपत लाल उदय
शुक्रवार, अगस्त 20, 2021
हम मातृभूमि सरहद पर करते रहते रखवाली,
इसके लिए क़ुर्बानी देना, समझते गौरवशाली।
चाहे घुसपैठियों, उग्रवादियों, नक्सलवादियों से,
भू-रक्षा के लिए भिड़ जाएँगे आतंकवादियों से।।
हम हर मौसम को सहने और इसमें रहने वाले,
चाहे पाँव में हो जाऐ गहरे हमारे अनेंक छाले।
ये आँधी-तूफ़ान चाहे बादल छाए काले-काले,
फिर भी इसको हँस के सह जातें हम मतवाले।।
हम जंगल पहाड़ियों में रहने वाले ऐसे बाशिंदे,
लगातें रहते नाके, गस्त, पेट्रोलिंग लेकर बंदूके।
भू-रक्षा में बहाना पड़े तो बहा देंगे ख़ूनी नाले,
है बहुत हमारे पास ये गोला बारूद के संदूके।।
हम रखतें सदैव जीत हासिल करने का जुनून,
इस क़दर का उबाल है अवश्य ही हमारे ख़ून।
अपनें इरादों में विजय की गूँज रखतें है सदैव,
और अपनें तिरंगे का रखते है सर्वदा ही मान।।
इस आसमान से भी ऊँची उड़ते है हम उड़ान,
क़दम-क़दम पर चिंगारी फिर भी घूमें जहान।
ये वक़्त आज़माएँ जाता है हमारी क़िस्मत को,
हम लिए घूमते-रहते सर्वदा बंद मुट्ठी में जान।।
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