जिस तरह ज़िन्दगी नहीं चलती - ग़ज़ल - दिलशेर 'दिल'

अरकान: फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती: 2122 1212 22

जिस तरह ज़िन्दगी नहीं चलती,
नाव काग़ज़ की भी नहीं चलती।

झूट जिसमे ज़रा भी शामिल हो,
दूर तक दोस्ती नहीं चलती।

बात असली अगर बता देता,
फिर तेरी एक भी नहीं चलती।

तुमने धोका जो दे दिया मुझको,
शायरी अब मेरी नहीं चलती।।

सच को सच ही अगर है रखना तो,
उस में कोई कमी नहीं चलती।

'दिल' मुहब्बत का बस पुजारी है,
उससे अब दुश्मनी नहीं चलती।

दिलशेर 'दिल' - दतिया (मध्य प्रदेश)

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