मीलों दूर रहकर भी,
दिल की नज़दीकियाँ उनसे।
वो अजनबी बन गए अपने,
अनोखी भेंट हुई जिनसे।
वीरान सुनी दिल की बग़िया में,
प्रेम की कलियाँ हैं मुस्काई।
खिले अधखिले सुमनों से,
चमन में आ लगी हैं रौशनाई।
मन की मोहिनी है वो,
मन में उठती रागिनी है वो।
गुलिस्ताँ से भी सुंदर है,
शृंगार की संगिनी है वो।
मनमंदिर की मूरत है वो,
प्यार की इक सूरत है वो।
अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)