अभिषेक मिश्रा - बहराइच (उत्तर प्रदेश)
क्यूँ रुके हैं तेरे शिथिल चरण - कविता - अभिषेक मिश्रा
शनिवार, जुलाई 17, 2021
रुक गए जो तेरे शिथिल चरण,
मृत्यु का होगा आमंत्रण।
दुःख से विरक्त है कोई जग में
गर्वित है कौन हुआ नभ में,
कर्तव्य राह में होगा रण,
मन की करुणा का निमंत्रण!
रुक गए जो तेरे शिथिल चरण!!
है व्यथा विकार इस जीवन में,
सुख मिलता हरि के सुमिरन में,
अस्तित्व मिटा प्रतिपल प्रतिक्षण,
गिरते हैं अश्रु से अब मधुकण!
रुक गए जो तेरे शिथिल चरण!!
जैसे प्राण पवन में रहता
जैसे सौंदर्य सुमन में रहता,
नभ में चलते हैं तारागण!
क्यूँ रुके है तेरे शिथिल चरण!!
जीवन की इस लाचारी से
उर में उठती चिंगारी से,
लिखा कविता का प्रथम चरण,
अब रुके न मेरे शिथिल चरण!!
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर