तुम मिले जब से मुझे मौसम सुहाना हो गया - ग़ज़ल - आलोक रंजन इंदौरवी

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन
तक़ती : 2122 2122 2122 212

तुम मिले जब से मुझे मौसम सुहाना हो गया।
ज़िंदगी जीने का इक सुंदर बहाना हो गया।।

जिस नज़र नें तुमको देखा वो दीवानी हो गई,
और मैं भी जानें क्यूँ तेरा दीवाना हो गया।

अब तो बस उसके ख़यालों में ही खोया रहता हूँ,
आजकल इस दिल में उसका आना जाना हो गया।

दोस्ती की शर्त हम दोनों निभाए इस तरह,
दायरे में रहके मर्यादा निभाना हो गया।

ख़्वाब की दुनिया धरातल पर उतरती जा रही,
एक दूजे के लिए प्यारा ठिकाना हो गया।

जब मिले हम तुम तो जानें किस जहाँ में खो गए,
वक़्त ठहरा सा लगा हर ग़म भुलाना हो गया।

मेरे दिल पर हाथ रख कर तुम भी धड़कन सुन लिए,
तेरा मेरा साथ उस दिन आशिक़ाना हो गया।

आलोक रंजन इंदौरवी - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

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