पेड़ लगाओ सब मिल कर,
जीवन की जंग जीतनी है।
सोचो बिन प्राणवायु के,
मुश्किलें आएँगी कितनी है।।
सोचो समझो मनन करो,
कारण सहित भेद पहचानो।
तरुवर बिन बोलो कैसे,
ले सकोगे साँसें इंसानों।।
पृथ्वी पर दूर तलक तक,
वृक्ष दिखाई ना दे कोई।
साँसों की सरगम अटके,
कुदरत की छटा लगे खोई।।
कुदरत से खिलवाड़ किया,
संकट के बादल घिर आए।
अतिक्रमण नदी किनारे,
मनुज कर बाढ़ से घबराए।।
भविष्य साँसों का धरा पर,
रह रह कर खूब सताता है।
दरख़्त बिन धरा की हालत,
नैनो से पानी आता है।।
मनुज प्रकृति प्रेमी बन,
अब वृक्षारोपण करना है।
जगत में अलख जगा हमें,
वन हरियाली से भरना है।।
हर युवा वृद्ध बालक भी,
सब मिल कर पेड़ लगाएँगे।
प्राणवायु भरपूर मिलेगी,
हर संकट से टकराएँगे।।
रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)