आज
चारों ओर
मौत मंज़र छाया
व्यथित हुआ
हृदय।
क्या
मानव जीवन
इतना भयानक अंत
सह पाएगा
कभी।
विकास
चरम सीमा
स्पर्श किया मानव
विनाश मंज़र
देखो।
पर्यावरण
बिगाड़ा तूने
प्रकृति कोप सहन
दुष्कर हुआ
मानव।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम" - कानपुर नगर (उत्तर प्रदेश)
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