मीठे औषधीय बोल - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

मीठे बोल
औषधि समान होते है।
सिर्फ़ तन मन ही नहीं
या ख़ुद के लिए ही नहीं,
घर, परिवार, समाज के लिए
टॉनिक समान होते हैं।
बस मीठे और संतुलित बोल
बोलकर तो देखिए,
अपनी आदत में शुमार कीजिए
आपको एहसास हो जाएगा,
मीठे बोल के औषधीय गुणों का
मूल्य समझ में आ जाएगा।
बिना श्रम अमृत सदृश 
अपना भाव बताएगा,
खुशियों का संसार
आपके क़दमों में ही नहीं
आपके आस पास भी
खिलखिलाएगा, मुस्कुराएगा।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos