फिर फिर भूले फिर फिर हमको याद किया।
कड़वा कभी कभी मीठा संवाद किया।
जैसे थे हम आज तलक वैसे ही हैं,
हम कैसे कह दें तुमने बर्बाद किया।
यह अंदाज़ तुम्हारा प्यारा लगता है,
खूब मिटाकर बार बार आबाद किया।
जब जी चाहा क़ैद किया तब तब दिल में,
रूठ गए तो इक पल में आज़ाद किया।
दिखा हमारी सूरत में शागिर्द कभी,
कितनी बार हमें फिर से उस्ताद किया।
कभी हमारी बात तुम्हें आदेश लगी,
कभी हमारे शब्दों को फ़रियाद किया।
मौज हुई तो झट से अनबन भी करली,
और कभी इक पल में दूर विवाद किया।।
ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)