ख़ुदा कहा होगा - ग़ज़ल - मनजीत भोला

अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1212 22

मानलो यार हमें नशा होगा।
बे-ख़ुदी में ख़ुदा कहा होगा।।

मरते मरते भी ये कहा हमने,
हाकिमों आपका भला होगा।

होंगी नस्लें नई तो सोचेंगी,
आदमी किस तरह रहा होगा।

राज़ खोलें अगर इजाज़त हो,
रहने दो हादसा नया होगा।

ताज उसको लगा खिलौने सा,
देखलो तुम यहीं पड़ा होगा।

फ़रिश्ते हर तरफ़ अमन के हैं,
खून किसका यहाँ बहा होगा।

मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

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