श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल" - लहार, भिण्ड (मध्यप्रदेश)
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मेरी दुनिया माँ का आँचल - बाल कविता - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
मेरी दुनिया माँ का आँचल - बाल कविता - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
शुक्रवार, मई 14, 2021
मुझे कहीं सच में मिल जाएँ,
अगर कहीं भगवान।
और कहें यदि माँगो मुझसे,
तुम कोई वरदान।
अच्छे कपड़े और खिलौने,
जो भी चाहो ले लो।
गड्डे गुड़िया कार प्लेन ले,
उनके सँग मे खेलो।
या फिर जो अच्छी लगती हो,
माँग मिठाई खाओ।
सोच समझ लो ठंडे मन से,
जो माँगो सो पाओ।
या फिर ले लो पंख सुनहले,
पंछी बन उड़ जाओ।
या फिर तितली के पर ले लो,
फूल-फूल इतराओ।
सूरज चंदा तारे ले लो,
धवल चाँदनी प्यारी।
जो भी माँगो पूरी होगी,
इच्छा आज तुम्हारी।
हाथ जोड़ कर करूँ प्रार्थना,
विनती सुनो हमारी।
सारी दुनिया में सच मुझको,
माँ है सबसे प्यारी।
एक तरफ़ हैं सूरज चंदा,
धरती अम्बर बादल।
सिर पर मेरे तना रहे प्रभु,
मेरी माँ का आँचल।
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