अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)
कविता मन का दर्पण - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
शुक्रवार, अप्रैल 02, 2021
कविता मन का इक दर्पण है,
इस दिल से उसको अर्पण है।
ये दिल-ए-नादाँ आवारा,
मोहब्बत में समर्पण है।
शृंगार प्रेम का मिश्रण है,
शून्य हृदय में रोपण है।
यह अर्जन नहीं नवसृजन है,
शब्दों से चमकती नवकिरण है।
अनकहा हर इक कथन है,
ये भावनाओं से गहन है।
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