हमको है दरकार तुम्हारी,
हर शर्त स्वीकार तुम्हारी,
हमसफ़र हो जीवन पथ की,
तुझ पर हम तो है बलिहारी।
एक ज़रूरी क़िस्सा हो तुम,
दिल की धड़कन हो प्यारी,
मेरे जीवन का हिस्सा हो,
हमसफ़र हो तुम हमारी।
प्रेम भरी पुरवाई हो,
झोंका मस्त बहार का,
सजा हुआ साज गीत का,
वीणा की झंकार का।
इन साँसों की सरगम में,
धुन हो मधुर तान भी,
शब्दों के मोती दमके,
कविता का गुणगान भी।
महंकता चमन हो हमारा,
खिला रहा ज़िंदगी सारी,
सुंदर लगता संसार तुमसे,
हमको है दरकार तुम्हारी।
रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)