(गीतकार समीर की गीत "दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता है" की पैरोडी गीत)
रंगों का त्योहार सुहाना लगता है।
होली का हुड़दंग सुहाना लगता है।।
नाचो गाओ धूम मचाओ
एक दूजे को रंग लगाओ।
रंगों का त्योहार...
फागुन का यह मस्त महीना मन हर्षाता है।
मदन मास मन खाए हिलोरे, आग लगाता है।
नाचो गाओ धूम मचाओ,
एक दूजे को रंग लगाओ।
बागों में कोयलिया चहके लगे सुहानी है
अधार हुए कचनार यार की याद रूहानी है।
नाचो गाओ धूम मचाओ,
एक दूजे को गले लगाओ।
चंग मजीरे बंसी की धुन नाच रही टोली।
प्रेम रंग में तन मन भीगा, भीग रही चोली।
नाचो गाओ धूम मचाओ,
एक दूजे को रंग लगाओ।
कृष्णा कन्हाई राधा के संग खेले होरी है।
भर पिचकारी रंग उकेरे कर बरजोरी है।
नाचो गाओ धूम मचाओ,
एक दूजे को संग लगाओ।
रंगों का त्योहार सुहाना लगता है।
होली का हुड़दंग सुहाना लगता है।।
कवि संत कुमार "सारथि" - नवलगढ़ (राजस्थान)