विश्व जल दिवस - लेख - सुनील माहेश्वरी

हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में हम लोग मनाते हैं, पर जब तक हम ख़ुद को बदलकर जल को बचाने के हर भरसक प्रयास ख़ुद से नहीं करेंगे, 
तब तक ये सारे दिवस बेमाने लगेंगे, और उनको मनाने का कोई औचित्य भी नहीं रहेगा।
आज एक वादा ख़ुद से कीजिए की पानी को व्यर्थ में नहीं बहाएँगे।

अक्सर हम लोग अनगिनत अवसरों पर जल का दुरूपयोग करते ही रहते हैं, जैसे कि दंत मंजन, शेविंग और काफी वक़्त सिर्फ अपने घरों की पानी की बाल्टी भरने में ही व्यर्थ करते रहते हैं, जिसका हम उपयोग करके किसी ज़रूरतमंद कार्यों में लगा सकते हैं।

अधिकांश समय ऐसा भी देखने को मिलता है कि हम स्नान के वक़्त भी पानी को ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, जो कि पानी की व्यर्थता को बढाबा देना है, आज से प्रण लेते हैं कि जल को व्यर्थ नही बहाएँगे। क्योंकि बेशक आप को इसकी महत्वता का कोई मोल न हो, पर भारत वर्ष में अनगिनत गांवों और क़स्बों में आज भी लोग जल की बूंद-बूंद के लिए मोहताज रहते हैं। 
जब जब सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पानी की किल्लत होती है तब हमें इसके दुरूपयोग के दुष्परिणाम याद आते हैं।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को जल के प्रति जागरूक करना है, एक बात आप लोग हमेशा से सुनते आ रहे हैं, कि "जल है तो जीवन है" लेकिन दुर्भाग्यवश बहुत ही कम लोग इसको समझ पाते हैं।
पानी की अहमियत हमें तभी महसूस होती है, जब हम पानी की किल्लत से जूझते हैं। दुनिया की 16% आबादी भारत में रहती है, जबकि, पीने का पानी सिर्फ 4% ही है, आपको शायद पता नहीं होगा कि 1 सेकेंड में नल से टपकने वाली बूंद से साल भर में 27 हज़ार गैलन पानी बर्बाद हो जाता है। तो दोस्तों इस विश्व जल दिवस
पर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प लें।

सुनील माहेश्वरी - दिल्ली

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