जुनून - कविता - सुनील माहेश्वरी

यारों बाज़ुओं और अपने
पाँव पर यकीन रखते हैं,
ज़िंदगी की हर तपिश को 
झेलने का जोश रखते हैं।
जब ठान ही लिया 
शिखर पर जाना,
तो मंज़िलों को छूने का 
हुनर भी रखते हैं।
इतना तो जुनून 
दिल में लेकर चलते हैं,
राहें कैसी भी हो
पा लेने का जज़्बा रखते हैं।
जुनूनी ये दिल दिमाग
जब़ जिद़ ठान ही लेता है,
कुछ कर गुज़रने का जज्ब़ा 
अक्सर क़ामयाब होता है।
जोश इतना कूट कूट भरा है 
इन रगों में यारों,
ये रूकने का कोई हमें
पैग़ाम नहीं देता है।

सुनील माहेश्वरी - दिल्ली

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