राम प्रसाद आर्य "रमेश" - जनपद, चम्पावत (उत्तराखण्ड)
ऐ समय - कविता - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
शनिवार, मार्च 27, 2021
ऐ समय!
तू थकता नहीं क्या?
तेरे साथ चलते-चलते,
मैं थक गया, बैठ गया।
पर, तू है कि चलता बना।।
ऐ समय!
तुझे पसीना नहीं आता क्या?
तेरा पीछा करते-करते,
मैं पसीने से तर हो गया।
थोड़ी देर जो बैठा, वहीं सो गया, पर तू चलता बना।।
ऐ समय!
तुझे जाडों में ठण्ड नहीं लगती क्या?
मैं इन बर्फीली राहों पर,
चलते-चलते ठण्ड से ठिठुर गया।
तू है कि, रुकने का नाम नहीं, तनातन चलता बना।।
ऐ समय!
तनिक ठहर भी लेगा, तो क्या बिगड़ जाएगा तेरा?
मैं मानता हूँ कि तू चलायमान है,
बता, इंसान को पीछे छोड़ क्यों तू चलता बना?
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos