ऐ समय - कविता - राम प्रसाद आर्य "रमेश"

ऐ समय! 
तू थकता नहीं क्या? 
तेरे साथ चलते-चलते,
मैं थक गया, बैठ गया।
पर, तू है कि चलता बना।। 

ऐ समय! 
तुझे पसीना नहीं आता क्या?
तेरा पीछा करते-करते,
मैं पसीने से तर हो गया।
थोड़ी देर जो बैठा, वहीं सो गया, पर तू चलता बना।। 

ऐ समय! 
तुझे जाडों में ठण्ड नहीं लगती क्या? 
मैं इन बर्फीली राहों पर,
चलते-चलते ठण्ड से ठिठुर गया।
तू है कि, रुकने का नाम नहीं, तनातन चलता बना।। 

ऐ समय! 
तनिक ठहर भी लेगा, तो क्या बिगड़ जाएगा तेरा? 
मैं मानता हूँ कि तू चलायमान है,
बता, इंसान को पीछे छोड़ क्यों तू चलता बना?

राम प्रसाद आर्य "रमेश" - जनपद, चम्पावत (उत्तराखण्ड)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos