होली आई रे - गीत - अजय गुप्ता "अजेय"

होली आई रे आई रे प्यारे झूम ले।
भर-भर सतरंगी पिचकारी, हुरियारे झूम ले।।

छा गई मौसम में मस्ती, रंगीन अंबीर गुलाल की।
फिर से फागुन आया सखी, हिलमिल खेले सब होरी।
प्रिय प्रियतम मयूर विहार की, जय हो कान्हा नंदलाल की।।

टेसू रंग से भीगे तन अंगिया जंघिया,
खिल जाये गुल-गुलशन की बगिया।
जीजा-साली-चुहल-मनुहार,
भौजी-देवर-विनोद-तकरार,
पिचकारी सतरंगी फुहार की,
जय हो वृंदावन विहारी लाल की।।

हर बगिया ठंड़ाई भंग छने,
हुरियारे गली गली में घूमें।
रंग बरसे वसंती हरे-नीले-पीले,
समरसता तन-मन-जन में डोले,
रसिया-चौपाई-मृदंग विहार की।
जय हो रुकमनी कृष्ण मुरार की।।

घर-घर में गुजिया-पापड़-कचरी,
कांजी-वरे, दही-पकौड़ी, चटकारे चटनी।
घर-घर ड्योढ़ी पचरंगी रंगोली सजे,
सौप इलायची, मेवा, पान थाल रखे।
जय 'अतिथि देवो भव्' सुंदर भाव की।
जय हो यशौदा नंदन नंदलाल की।।

फागुन में ब्रज होली उत्सब की धूम मचेे,
गोपी गोपिकाओं संग रंग रसिया रास रचे।
वरसाने में लठ्ठमार होली, सखियाँ खूब बरसे,
देवलोक से देवगण, हर्ष-पुष्प-आशीष बरसे।
श्याम सखा सखी मस्ती में, भरी प्रेम पिचकारी,
जय हो राधा हृदय श्याम, मीरा के घनश्याम की।।

झूम रहा ब्रज-मथुरा-वृन्दावन, होली न्यारा त्यौहार,
भूलो बैर भाव को, करो जगमग समरसता संसार।
आओ हम सब भी झूमें, हिलमिल कर खेलें होली,
सारे जग में अद्भुत अभिनव, रंगों की भगवा बौछार,
वसुधैव कुटुम्बकम् दर्शन, जग भर से प्यार मनुहार की।
अदभुत, अकल्पनीय प्यारे, राधा-कृष्ण संसार की।।

होली आई रे आई रे प्यारे झूम ले।
फागुन में मौसम में मस्ती झूम ले।।

अजय गुप्ता "अजेय" - जलेसर (उत्तर प्रदेश)

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