भाषा केवल नही है हिन्दी,
भारत की पहचान है।
स्वर-व्यंजन से सजी हुई,
भारत माँ की शान है।।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण,
सबको हिंदी भाती है।
उर्दू, मराठी, पंजाबी ये,
सबको गले लगाती है।
ग्रंथों की भाषा है तो,
संस्कृति की शान है।।
भाषा केवल नही है...
हिंदी का हर शब्द शहद,
वाणी मीठी कर देता है।
माँ की ममता जैसी है ये,
मन में नेह भर देता है।
हिंदी हिंदुस्तान की भाषा,
भारत का सम्मान है।।
भाषा केवल नही है...
हर जन की बोली है,
आंगन सजी रंगोली है।
गीत भजन या ठुमरी, दादरा,
सब में मिश्री घोली है।
हिंदी माँ के भाल की बिंदी।
'वाणी' की पहचान है।।
भाषा केवल नही है...
डाॅ. वाणी बरठाकुर "विभा" - तेजपुर (असम)