एल. सी. जैदिया "जैदि" - बीकानेर (राजस्थान)
रेत का समंदर बेच दिया - ग़ज़ल - एल. सी. जैदिया "जैदि"
मंगलवार, मार्च 09, 2021
सुना है साहब ने रेत का समन्दर बेच दिया है,
पता करो ओर क्या अंदर ही अंदर बेच दिया है।
पता चला सफ़र-ओ-संचार सब कुछ था हमारा,
बेचा ऐसे, जैसे प्याज-ओ-चुकन्दर बेच दिया है।
चढ़ के सिढी पर जिस मंजिल तक पहुँचा था वो,
उसी ने सिढी के पाँव काट कर, फंदर बेच दिया है।
जिस मकसद से लाऐ हम उसको सुनो यारो,
उफ्फ उसी ने हमको बना के बंदर बेच दिया है।
सोचा हमने, अब हर हाथ को होगी रोजी रोटी,
हद कर दी ख़्वाब हमारे, बन के कलंदर बेच दिया।
है वक़्त अभी भी देखेंगे ओर क्या बिकेगा "जैदि",
सत्तर का था माल सारा दस के अंदर बेच दिया है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर