फ़ायदा - ग़ज़ल - आलोक रंजन इंदौरवी

अंधेरों से बचके रहो फ़ायदा है।
उजालों के रस्ते चलो फ़ायदा है।।

नहीं कोई मंज़िल बताएगा तुमको,
स्वयं राह अपनी चुनो फ़ायदा है।

तुम्हारे क़दम डगमगायेगे पहले,
मगर अपने मन की सुनो फ़ायदा है।

ज़माने तो चाहेगा नीचे गिरो तुम,
सुनो सबकी फिर ख़ुद गुनो फ़ायदा है।

शिकायत करो ना सुनो तुम किसी की,
मगन मस्त ख़ुद में रहो फ़ायदा है।

नहीं कोई अच्छा बुरा है ज़हां में,
हवा जैसी हो बस बहो फ़ायदा है।

बुराई की बातें न सोचो कभी भी,
सदा नेक इंसाँ बनो फ़ायदा है।

आलोक रंजन इंदौरवी - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

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