प्रेम और मानवता - कविता - आकाश सिंह "अभय"

प्रेम और मानवता है,
मानव जीवन का मूल!
जिनके हृदय मानवता नहीं, 
करता वह इंसान हिंसा वाली भूल
करता वह इंसान हिंसा वाली भूल!!

प्रेम और मानवता में,
शांति की बयार बहती है!
दया भाव हो जहाँ,
मानवता वहाँ अधिक उपजती हैं!!

कहता अभय आपसब से,
रखिए प्रेम को हृदय में भर!
तब होगा जग का कल्याण,
और बन जाएगा पूरा विश्व,
आपका अपना निजी घर!!

समझ लीजिए, हे मानव!
होगा तब यह मानव तन साकार,
वरना मानव जीवन है, आपका बेकार
वरना मानव जीवन है, आपका बेकार!!

आकाश सिंह "अभय" - कार्बी आंगलोंग (असम)

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