कुछ यूँ आए तुम मेरी ज़िन्दगी में,
मेरे आँसुओं को खुशी में बदल दिया तुमने,
राहों से काँटे हटाकर,
ज़िन्दगी को फूलों से भर दिया तुमने,
ऐसे वो मिले मुझसे,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
हर वो लम्हा जो गुज़ारा मैंने तेरे साथ,
उसे इन बंद पलकों में छुपा रखा है,
गुज़रे पाँच बरस अभी तेरे साथ,
मानो सदिया बीत गई,
बहूत गहराई तक ले जाती है हमें,
तेरी छुअन का हर एक एहसास,
रख लू तेरे कँधे पर सर,
और कहूँ तेरी कानो में हल्की-हल्की बाते,
पल भर ना ठहर सकी,
मेरी ये खूबसूरत कल्पनाये,
आज मैं ढूँढती हूँ,
उन लम्हो के,
कुछ सवालो के जवाब,
आप रहते जो मेरे साथ,
तो दिल कभी ना रोता,
आप रहते जो मेरे साथ,
तो ये ज़मीं भी मेरा आसमाँ होता,
सब पूछते है मुझसे कितना प्यार करते हो उनसे,
ये सवाल आपका होता,
तो जवाब देने का मज़ा ही अलग होता।
प्रिया पाण्डेय "अनन्या" - उत्तरपाड़ा (पश्चिम बंगाल)