रुकमण तुम द्वेष न रखना
ओ रुकमण रानी,
राधा के दिल मे,
उलझें तेरे श्याम के प्रानी।
जीवन रूपी पौधा श्याम का,
विकसित होगा तब,
जब बन जायो तुम पवन और पानी।
अगर जलोगी तुम राधा से
और राधा रुकमण से,
इस उमस से मिट जाएगी श्याम कहानी
है रुकमण का माधव,
उधर श्याम राधा का,
एक तरफ़ है
धर्म कुटुंब का,
दूजी तरफ़ है, फ़र्ज़ प्रेम का
प्रेम डगर पर चली प्यार की,
गाड़ी जो बिन दोनों के न चल पाए।
एक दूजे का साथ अगर दे,
था माधव रुकमण का, राधा का श्याम कहाये।
माधव श्याम
रहे अगर बेचैनी मे,
तो नीरस रहे दोनों कि ज़िन्दगानी।
राधा से तुम द्वेष न रखना
ओ रुकमण रानी।
रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)