रमेश कुमार सोनी - रायपुर (छत्तीसगढ़)
प्यार का मेला - हाइकु - रमेश कुमार सोनी
मंगलवार, फ़रवरी 23, 2021
१
लाज की आँच
पिघली नदी बनी
पिया बाहों में।
२
रोज़ दोहरा
यौवन की आदतें
रूप निहारें।
३
रोता है कोई
आँसू कहीं टपके
प्यार के क़स्बे।
४
पलकें झुकीं
धूप से छाँव हुईं
जादू नज़रें।
५
लाज या शर्म
पल्लू खेले उँगली
इश्क़ की गली।
६
वो जो हँस दें
बसंत खिल उठे
कब हँसोगी?
७
इश्क़ का भांडा
फूटे गली-मोहल्ला
चर्चा का दंगा।
८
सागर जाने
राज़ खारेपन का
वो नहा गई।
९
दिल बदले
जब ठौर-ठिकाना
जग बौराता।
१०
यही प्रार्थना
प्यार को प्यार मिले
बड़े प्यार से।
११
बेजोड़ हुस्न
दाँतों दबा दुपट्टा
जुल्फ़ों में चाँद।
१२
वो बाग आयीं
फूल ईर्ष्या से सुर्ख
सौतिया डाह।
१३
प्यार का मेला
बागों में भोर-साँझ
रोज़ रौनक।
१४
दिल की चोट
सिली ना सेंकी जाए
वक़्त में भरे।
१५
दिल का हाट
कभी देखा ही नहीं
प्यार का ठाट।
१६
'लिव इन' का
'वेलेन्टाइन' युग
भटके रिश्ते।
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