हे मात भारती तुझे नमन है - कविता - चीनू गिरि

हे मात भारती तुझे नमन है, तुझको फूल चढ़ाते हैं।
मातृ भूमि की रक्षा में हम अपना शीश चढ़ाते हैं।
हे मात भारती तुझे नमन है

जब भी दुश्मन ने आँख उठाई हमने उसे ललकारा है,
घर मे घुसकर दुश्मन के हमने, उसका शीश उतारा है,
अपना रक्त बहाकर भी हम माँ का मान बढ़ाते हैं।
हे मात भारती तुझे नमन है

घर में बैठे तेरे गद्दारों को भी अब चिन्हित करना होगा, 
जो तेरी शान को करे कलंकित अब उसको मरना होगा,
देश के गद्दारों सुनलो, अब हम अपना कदम बढ़ाते हैं।
हे मात भारती तुझे नमन है

देश मेरा आदिकाल से यूँ ही जगत गुरु कहलाया है, 
गीता और वेदों से हमने दुनिया को जीना सिखलाया है, 
नालन्दा या तक्षशिला की तरह हम अब भी पाठ पढ़ाते हैं।
हे मात भारती तुझे नमन है

तेरा आँचल धोती गंगा मैया, और पैर पखारे सागर,
तेरा मुकुट बना हिमालय, जैसे माँ के सर पे गागर, 
तेरी रक्षा की ख़ातिर नर-नारी संग ही कदम बढ़ाते हैं।
हे मात भारती तुझे नमन है

हे मात भारती तुझे नमन है, तुझको फूल चढ़ाते हैं।
मातृ भूमि की रक्षा में  हम अपना शीश चढ़ाते हैं।

चीनू गिरि - देहरादून (उत्तराखंड)

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