पौष मास नववर्ष मुदित मन,
पर्व मकर संक्रान्ति मनाएँ।
खुशियों के मकरन्द बाँटकर,
जीवन व्योम पतंग उड़ाएँ।
सतरंग चारु बहुरंग गगन,
नवाभिलाष पतंग उड़ाएँ।
क्षणिक श्वाँस की डोर थामकर,
आओ मिलजुल साथ निभाएँ।
तजें स्वार्थ मन छल कपट झूठ,
सद्भावित मन मीत बनाएँ।
अरुणिम प्रभात सुनहर भविष्य,
नभ लक्ष्य क्षितिज पतंग उड़ाएँ।
धरा हरित भरित किसान मुदित,
नयी फ़सल आनंद मनाएँ।
नृत्य गीत संगीत मनोहर,
विकास व्योम पतंग उड़ाएँ।
जाति धर्म विरत निर्भेद जगत,
सद्नीति प्रीति राह बनाएँ।
नीलाभ गगन हैं डोर बहुत,
पतंग काट से ख़ुद बचाएँ।
समझ डोर जीवन का लघुतर,
संघर्ष कँटिल सुलभ बनाएँ।
संकल्प ध्येय उत्थान अटल,
बना धवल कीर्ति पतंग उड़ाएँ।
पुरुषार्थ डोर साहस अम्बर,
रहें होश ख़ुद जोश बढ़ाएँ।
जीवन पतंग बहुत विघ्न गगन,
मति विवेक बल डोर उड़ाएँ।
पछवा पुरबैया बहे पवन,
मन्द मन्द हम डोर बढ़ाएँ।
विश्वास स्वयं हो विजयी पथ,
नव उड़ान नभ कदम बढ़ाएँ।
जीवन पतंग उड़ती अम्बर,
धर्म अर्थ सद्मार्ग बनाएँ।
न्याय त्याग सहयोग प्रीति मन,
पलभर जीवन स्वर्ग बनाएँ।
मकर लोहड़ी बिहू पोंगल,
खुशियों का संसार बनाएँ,
समरसता नवरंग प्रेम मय,
नित जीवन पतंग उड़ाएँ।
कटे डोर कब अनुपम जीवन,
चलें अधर मुस्कान जगाएँ।
मानवता नैतिक रक्षक बन,
उड़ पतंग जीवन्त बनाएँ।
अमर गीत बलिदान देश पर,
विजय वीर योद्धा बन पाएँ।
कटे डोर उससे पहले हम,
तिरंग पतंग हम व्योम उड़ाएँ।
शान्ति चैन सुखमय हो जीवन,
लोहड़ी आग द्वेष जलाएँ।
मकर राशि परिवर्तन द्योतक,
पौष मास अरुणाभ बनाएँ।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली