जय हिन्द जय हिन्द की सेना - आल्हा छंद - सतीश मापतपुरी

नहीं छोड़ना उस कायर को, सीमा पर जो चढ़ा सियार।
आर-पार का करो फैसला, मारो खींच गले तलवार।।
सबक सिखाना होगा इनको, जो भारत पे करते वार।
रणचण्डी  की  कृपा रहेगी, अबकी करो आर या पार।।

कद के छोटे खोटे दिल के, उछल रहे जानें किस बात।
दुनिया जान गई है इनको, बात-बात पे करते  घात।।
अबकी नोचो हाथ बढ़ाकर, चेहरे  से  इनके नकाब। 
हर दुश्मन का यही सरगना, छीन लो गन जूता जुराब।।

एक पड़ोसी शिविर लगाकर, बम का करता है व्यापार।
एक कहे कि राम है उसका, अवध उसीका है घर बार।।
अपने देश में छुपे हैं कुछ, आस्तीन में काले व्याल। 
खाते नमक यहाँ का लेकिन, उनके लिए बजाते गाल।।

सतीश मापतपुरी - पटना (बिहार)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos